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Shivaji Maharaj Fort – Top 10 Forts

November 27, 2019 by Prashant Wagh 2 Comments

छत्रपती शिवाजी महाराज के दस महत्वपूर्ण कीलें जिन्होंने मराठा साम्राज्य खड़ा करने में महत्व पूर्ण भूमिका निभाई. (Chhatrapati Shivaji Maharaj Fort – Top 10 Forts) छत्रपती शिवाजी महाराज के कार्यकाल में शासन चलाने हेतु किलों का महत्व सबसे ऊपर रहा है. एक मजबूत क़िला बड़ी से बड़ी सेना को सालो साल लढाई करनेपर भी जित नहीं दिलाता. छत्रपती शिवाजी महाराज का पूरा राज्य सह्याद्री पर्वतों से घिरा हुवा है. सह्याद्री के पहाड़ो पर निर्माण किये गए मजबूत कीलें ही मराठा ओ की असली ताकत थी. इन पहाड़ी किलों ने मुग़ल और बीजापुर के बादशाहों की लांखो की सेनाको घुटने टेकने पर मजबूर किया था.

Shivaji Maharaj Fort
Shivaji Maharaj Fort – Pratapgad.

आईये हम आपकी मुलाकात छत्रपती शिवाजी महाराज के दस महत्वपूर्ण कीलें जिन्होंने मराठा साम्राज्य खड़ा करने में महत्व पूर्ण भूमिका निभाई उनसे कराते है.

Table of Contents

  • शिवनेरी (Shivaji Maharaj Fort – Shivneri A Birth Place Of Shivaji Maharaj)
  • तोरणा (Shivaji Maharaj Fort – Torna The first fort Capture by Shivaji Maharaj)
  • राजगड (The Top in Chhatrapati Shivaji Maharaj Forts – First Capital Fort)
  • सिंहगड (कोंढ़ाणा) (Shivaji Maharaj Fort – Sinhgad)
  • पुरंधर (Shivaji Maharaj Fort – Purandhar)
  • प्रतापगड (Shivaji Maharaj Fort – Pratapgad)
  • पन्हाळा (Shivaji Maharaj Fort – Panhala)
  • जंजिरा (Janjira)
  • सिंधुदुर्ग (The Top Sea Fort)
  • रायगड (The Capital Fort)

शिवनेरी (Shivaji Maharaj Fort – Shivneri A Birth Place Of Shivaji Maharaj)

मराठा साम्राज्य में शिवनेरी किले का बड़ा महत्वपूर्ण योगदान है. छत्रपती शिवाजी महाराज का जन्म शिवनेरी किले पर हुवा था. जुन्नर शहर के करीब का ये क़िला इतिहास के एक महान राजा के जन्म का साक्षी है. स्वातंत्र्य के लिए स्वराज्य निर्माण की चाह रखनेवाले शिवाजी महाराज के पिताजी “शहाजी राजे” ने अत्यंत कठिन समय में गर्भावस्था में सुरक्षा हेतु जिजाबाई को शिवनेरी किले पर रखा था.

हालाँकि शिवनेरी कीला शिवाजी महाराज के कार्यकाल में “स्वराज्य” मराठा साम्राज्य में शामिल नहीं था. शिवनेरी कीलें को स्वराज्य में शामिल करने हेतु दो बार असफल प्रयत्न जरुर हुवा था.

तोरणा (Shivaji Maharaj Fort – Torna The first fort Capture by Shivaji Maharaj)

छत्रपती शिवाजी महाराज ने स्वराज्य निर्माण की प्रतिग्या लेने के बाद एक मजबूत पहाड़ी क़िला काबिज करनेका ठान लिया. अपने मस्ती में चूर बीजापुर सुल्तान का जरासा भी ध्यान किलोंकी मजबूती पर नहीं था. इसी बात का फायदा उठाके, कम सुरक्षाका इंतजाम रहने वाला मजबूत तोरणा क़िला शिवाजी महाराज ने बड़ी होशियारिसे काबिज किया. स्वराज निर्माण कार्य की शुरुवात तोरणा किले से हुई. किले पर अमल जमातेही उसे और लड़ाकू करने हेतु किले की मजबूती का कार्य आरंभ किया गया.

इस काम के दोहरान किले पर सात धन से भरी हुई हंडिया मिली. मानो अच्छे कार्य के हेतु भगवान ने ही शिवाजी महाराज की सहायता की और स्वराज्य को धन प्राप्त हुवा.

राजगड (The Top in Chhatrapati Shivaji Maharaj Forts – First Capital Fort)

स्वराज्य मराठा साम्राज्य की पहली राजधानी “राजगड” क़िला. आधे- अधूरे बने पहाड़ी किले को काबिज करके शिवाजी महाराज ने अपनी पहली राजधानी हेतु राजगड किले का निर्माण किया. राजगड एक मजबूत क़िला जिसपर शिवाजी महाराज ने २४ साल वास्तव्य किया. मराठासाम्राज्य के अत्यंत महत्वपूर्ण फैसले जैसे की प्रतापगड के निचे अफजल खान से लढाई, पुरंदर तह इत्यादी,   इसी राजगड किले पर हुए. छत्रपती राजाराम महाराज का जन्म भी राजगड पर ही हुवा.

छत्रपती शिवाजी महाराज की प्रथम पत्नी और छत्रपती संभाजी महाराज की माता सईबाई का मृत्यु राजगड किले पर हुवा. उनकी समाधी राजगड किले पर मौजूद है.

अफजल खान के साथ अतुलनीय वीरता पूर्वक लढाई का प्रतिक अफजल खान का कटा सर आज भी राजगड किले के कोने में दफन है.

सिंहगड (कोंढ़ाणा) (Shivaji Maharaj Fort – Sinhgad)

सिंहगड क़िला स्वराज्य की लढाईयो में बहुतही महत्व पूर्ण रहा. स्वराज्य की शुरुवात में सिंहगड चतुराई से हासिल किया गया. बीजापुर सुल्तान का सबसे महत्वपूर्ण क़िला था जिसे शिवाजी महाराज ने बिना शस्त्र उठाये स्वराज्य में शामिल किया. पहाड़ी किलोंमे सिंहगड की मजबूती बेजोड़ है.

स्वराज्य में शामिल सिंहगड पुरंधर के तह के बाद मुघलोंको सौपा गया. फिर से सिंहगड पर कब्ज़ा करने हेतु वीर तानाजी मालुसरे ने अपना बलिदान दिया. स्वराज्य ने एक महत्वपूर्ण योद्धा खोया. नरवीर तानाजी मालुसरे का स्मारक आज भी सिंहगड की शान बढ़ा रहा है.

छत्रपती राजाराम महाराज की समाधी भी सिंहगड पर है. पुणे शहर से नजदीक यह क़िला मराठा साम्राज्य का महत्वपूर्ण क़िला है.

पुरंधर (Shivaji Maharaj Fort – Purandhar)

छत्रपती संभाजी महाराज का जन्मस्थान पुरंधर क़िला शिवाजी महाराज का एक बेजोड़ क़िला है. दो भाइयो की आपसी दुश्मनी का फायदा तीसरे लोग कैसे उठाते है, ये दोनों भाइयो को समझाते समझाते शिवाजी महाराज ने आसानी से पुरंधर क़िला और दोनों भाइयो का दिल जीता था. क़िला काबिज करनेके बाद उसपर काफी खर्च मजबूती कार्य हेतु किया गया.

मुग़लों के रजपूत सेनानी मिर्ज़ा राजा जयसिंह और दिलेर खान ने शिवाजी महाराज को नेस्तनाबूत करने हेतु पुरंधर काबिज करना चाहा. लाख कोशिशो के बावजूद पुरंधर पर दिलेर खान कब्ज़ा नहीं कर पा रहा था. लेकिन पड़ोस के वज्रगड की हर के वजह से पुरंधर किले की दिवार को गिराने में मुग़ल कामयाब रहे. उस वक्त मुरारबाजी जो शिवाजी महाराज के निष्ठावान सेनानी थे उनको वीरमरण प्राप्त हुवा. शिवाजी महाराज ने अपने सैनिकोकी आहुति रोकने हेतु मिर्ज़ा राजा जयसिंह से युद्ध पर सला कराई. जिसमे २३ किले और बडे उत्पन्न का प्रदेश मुघलोंको सौपना पड़ा. इसी के साथ संभाजी राजा को मुग़लों का मनसबदार बनना पड़ा. इस हर में भी शिवाजी महाराज ने अनेक प्रभावी राजकारणीय निर्णय लिए.

प्रतापगड (Shivaji Maharaj Fort – Pratapgad)

जावली सह्याद्री पहाड़ों का एक बेहद कठिनाईयों से भरा जंगली इलाका है. इस इलाकेको जितने के बाद शिवाजी महाराज ने जंगलो के बीचोबीच एक पहाड़ पर नया क़िला बनवाया. किले का नाम प्रतापगड रखागया. कुछही महीनो के बाद स्वराज्य पर अफजल खान भारी संकट बनकर आया. मंदिरों और प्रजा का विनाश करते हुए अफजल खान ने सारा प्रदेश नेस्तनाबूत कर रखा था. अफजल खान मोटे लोहे की पहार को दोनों हाथो से आसानीसे गोल करनेवाला एक बेहद ताकतवर और शैतानी दिमाग का सरदार था. उसके साथ कई लड़ाकू हाथी,घोड़े,तोफे,बड़ा खजाना,और दस हजार कडवी फ़ौज थी.

छत्रपती शिवाजी महाराज ने बड़ी चतुराई से अफजल खान से लोहा लिया. प्रतापगड किले के निचे बुलाकर दगाबाज अफजल खान को शिवाजी महाराज ने ख़त्म कर दिया. अपने सरदार को मरा देख दस हजार संख्या की फ़ौज जावली के जंगल में ठीक से भाग भी न सकी. बस आधे दिन में सारी सेना का पराजय किया गया. साथही अफजल खान का सारा खजाना, हाथी, घोड़े, तोफे शिवाजी महाराज को मिल गयी. एक अद्वितीय प्रतापी पराक्रम शिवाजी महाराज ने प्रतापगड के यहाँ किया.

पन्हाळा (Shivaji Maharaj Fort – Panhala)

बीजापुर के आदिलशाह का सबसे महत्वपूर्ण क़िला पन्हाळा प्रतापगड की जीत के बाद शिवाजी महाराज ने स्वराज्य में शामिल किया. चिढ़े हुए शाह ने कर्नूल के सुभेदार सिद्दी जौहर को शिवाजी महाराज को मिटाने के लिए भेजा. सिद्दी जौहर ने पन्हाळा किले को चारों और से घेरा डाला. बड़ा सक्त पहरा रखा. चीटी को भी घुसने की इजाजत नहीं थी. जोरदार बारिश में भी सिद्दी जौहर का इरादा सक्त था. इसके बावजूद भी शिवाजी महाराज सिद्दी जौहर को गलत फहमी का शिकार बनाके निकल पड़े.

शिवाजी महाराज को सही सलामत विशालगड पहुचाने की जिम्मेदारी बाजीप्रभु ने अपना बलिदान देते हुए निभाई. साथ ही ३०० बंदे शहीद हुए. सिद्दी जौहर को गुमराह करने के लिए शिवाजी महाराज के हमशकल शिवा काशिद ने भी अपने प्राणों की आहुति दी.

कुछ महीनो बाद पन्हाळा क़िला शत्रुओको सौपा गया. पन्हाळा फिरसे एकबार बड़ी होशियारी और वीरता से ६० सैनिको के सहारे मराठा साम्राज्य का हिस्सा हुवा.

जंजिरा (Janjira)

अबीसीनिया देश के सिद्दी लोगोंका कब्ज़ा जंजिरा किले पर था. समुद्री इलाकेका सबसे मजबूत क़िला जंजिरा था. जंजिरा को स्वराज्य में शामिल करने की काफी कोशिशे शिवाजी महाराज तथा संभाजी महाराज ने की लेकिन जंजिरा स्वराज्य में शामिल नहीं हो सका. मुग़ल जंजिरा के सिद्दी को उनके जहाजो के रक्षा हेतु हरसाल ३ लाख का मुआवजा देते थे.

जंजिरा स्वराज्य में शामिल नहीं हो पाया लेकिन उसे पाने की कोशिश हमेशा की गयी. समंदर पर हुकूमत के लिए सागरी क़िले की अहमियत शिवाजी महाराज ने जंजिरा की बेजोड़ ताकत से भाप ली.

सिंधुदुर्ग (The Top Sea Fort)

कोकण और समंदर पर हुकूमत के लिए जंजिरा जैसा मजबूत सागरी क़िला स्वराज्य में होना चाहिए इस एहसास के बाद शिवाजी महाराज ने सिंधुदुर्ग का निर्माण किया. कुरटे नाम के सागरी बेट को शिवाजी महाराज ने किले की दृष्टिकोण से देखा और सागरपर एक अप्रतिम मजबूत किले का जन्म हुवा.

चारों और से खारे पानी का समंदर होते हुए भी सिंधुदुर्ग के अंदर पीनेके मीठे पनिका भंडार है. इस किले के निर्माण के बाद कोकण और समंदर पर स्वराज्य का निर्विवाद वर्चस्व बनानेमे कामयाबी हासिल हुई.

सागर के जरिए अरब और यूरोपीय देशोसे व्यापार करना भी सिंधुदुर्ग किलेके कारन आसान हुवा.

रायगड (The Capital Fort)

“रायगड” स्वराज्य मराठा साम्राज्य की राजधानी. अंग्रेजोने जिसका उल्लेख जिब्राल्टर किया. अगर धान्य के कोठार भर के रखे हो तो ७ साल में भी क़िला काबिज नहीं कर सकते ऐसा उसवक्त के अंग्रेजोके लिखावट से पता चलता है. एक बेलाग, मजबूत क़िला मराठा साम्राज्य की राजधानी थी. जहा पे छत्रपती शिवाजी महाराज का “राज्याभिषेक” संपन्न हुवा.

चंद्र्राव मोरे को पराजित करने के बाद जावली का इलाका और रायरी का क़िला शिवाजी महाराज ने पाया. इसी रायरी के किले को मजबूत बनाके शिवाजी महाराज ने अपनी राजधानी रायगड बनाई. इस किले पर बनी रणनीती से ही पुरे दक्षिण भारत पर शिवाजी महाराज ने मराठा साम्राज्य का विस्तार किया.

राज्याभिषेक के बाद बारहवे दिन राजमाता जिजाबाई का देहांत रायगड के निचे पाचाड गाँव में हुवा. पाचाड में उनकी समाधी मौजूद है.

छत्रपती शिवाजी महाराज का मृत्यु रायगड पर ही हुवा. उनकी समाधी के दर्शन के लिए आजभी हररोज लोग रायगड जाते है. रायगड एक प्रेरणा है शिवाजी महाराज आजभी लोगोंके मन में जिन्दा है.

ये थे छत्रपती शिवाजी महाराज के १० अप्रतिम मजबूत और रोचक इतिहास से भरे किले (Chhatrapati Shivaji Maharaj Fort – Top 10 ). ये किले आजभी करोडो मराठा मनो में प्रेरणा के स्त्रोत जगाते है. आपभी इन किलो का दर्शन जिंदगी में एक बार कीजियेगा और शिवाजी महाराज का इतिहास पढियेगा मन में प्रेरणा और जीवन में कभीभी ख़त्म न होनेवाला उत्साह अपनेआप पैदा हो जायेगा.         

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