कैलाश पर्वत (Kailash Parvat) सभी भारतवासियोंका सबसे बड़ा श्रध्दास्थान है. भगवान शिवजी का निवास कैलाश पर्वत है ऐसा माना जाता है. कैलाश पर्वत और मानसरोवर दुनियाके सबसे पवित्र स्थलों मेसे एक है. हमेशा बर्फ से ढके इस प्रदेश यात्रा की ख्वाइश हरएक श्रद्धालु भाविक के मन में होती है. बहुतही कठिन परिश्रम पूर्वक की जानेवाली यात्राओ में कैलाश पर्वत, मानसरोवर यात्रा शामिल है. आईये जान लेते है कैलाश पर्वत की १० रोचक बातें (Top 10 Connections of Kailash Parvat Mystery,Science, History and Spirituality) –

भारतवासियोंका सबसे बड़ा श्रध्दास्थान कैलाश पर्वत (Kailash Parvat) तिब्बत चीन के धरती का हिस्सा है.
हिमालय पर्वत शिखरोंसे घिराहुआ भारतवासियोंका सबसे बड़ा श्रध्दास्थान कैलाश पर्वत (Kailash Parvat) आज तिब्बत चीन (Tibet, China) के धरती का हिस्सा है. कैलाश पर्वत मानसरोवर की यात्रा के लिए हर साल भारत को चीन सरकार की परमिशन लेनी पड़ती है.
बर्फ से आच्छादित ऊंचाई का पर्वत.
कैलाश पर्वत हिमालय की ऊँची शिखरोंमेसे एक है. कैलाश पर्वत (Kailash Parvat) की ऊंचाई समुद्र सतह से 6,638 मीटर (21,778 फुट) है. हिमालय की यह ऊँची शिखर हमेशा पूरितरह बर्फ से आच्छादित रहती है.
पाच धर्मो से जुड़ा चार प्रमुख धर्मो का अध्यात्मिक केंद्र (Very Important Kailash Parvat Mystery,Science, History and Spirituality)
कैलाश पर्वत हिंदू धर्म, तिब्बतिय बौद्ध धर्म, बौद्ध धर्म, और जैन धर्म इन धर्मो का प्रमुख अध्यात्मिक केंद्र है. तिब्बतके अनेकों संत कवियों ने कैलाश पर्वत के सानिध्य् में सालोसाल तपश्या की है. उनके अनुसार कैलास पर्वत पर पूजनीय डेमचौक और दोरजे फांगमो का निवास है. तथा बौद्ध धर्मीय कैलाश पर्वतको भगवान बुद्ध तथा मणिपद्मा का निवास मानते हैं. जैन धर्मीय लोगोंकी की मान्यता है कि आदिनाथ ऋषभदेव का यह निर्वाण स्थल है. इसे “अष्टपद” नाम से जाना जाता है. हिंदू धर्म के अनुसार कैलाश पर्वत भगवान शिव का निवास स्थान है. गुरु नानक जी ने इस पावन स्थल पर कुछ दिन तपश्या की थी इस कारण सिख धर्म में भी कैलाश पर्वत को पूजनीय माना जाता है.
कैलाश पर्वत और वैज्ञानिक संदर्भ (Kailash Parvat Mystery in Science review)
वैज्ञानिको के अनुसार करोड़ो साल पहले चारों और समुद्र से घिरिहुई भारतीय भूमी प्लेट उत्तरीय रशिया की प्लेट से टकराई. इस कारण दुनिया की सबसे ऊँची पर्वत श्रुंखलाओ का निर्माण हुवा. उसमे कैलाश पर्वत की भी निर्मिती हुई. हिमालय की सारी पर्वत शिखरोमे कैलाश पर्वत अजीब श्रुंखला है. यहाकी ध्वनीतरंगोसे ‘ॐ’ की प्रतिध्वनि सुनाई देती है.
पवित्र मानसरोवर भारत और चीन के महत्वपूर्ण नदियो का उगम स्थल.
कैलाश पर्वत के चरण धोता पवित्र मानसरोवर भारत और चीन की कई सारी नदियों का उगम स्थल है. इनमे ब्रम्हपुत्र नदी, सिंधु नदी, करनाली नदी तथा सतलज नदी ये प्रमुख नदिया है. ये प्रमुख नदियाही आगे चलके कई सारी और नदियों को जन्म देते हुए मनुष्य की की जीवनधारा बनती है.
कैलाश पर्वत की परिक्रमा का रहस्य(Kailash Parvat Mystery connection with Spirituality).
दुनिया के इस पावन पर्वत की परिक्रमा करनेकी चाहत सभी भाविक भक्तों की होती है. माना जाता है की कैलाश पर्वत परिक्रमा से पाप कर्मो से मुक्ति मिलती है. तारचेन नामक स्थान से शुरू होनेवाली परिक्रमा वहीपर आकर समाप्त होती है. तिब्बती धर्म अनुसार ३ अथवा १३ परिक्रमाओको महत्वपूर्ण माना जाता है. कहते है एक जन्म के पाप को नष्ट करने के लिए १ परिक्रमा करनी चाहिए. जो मनुष्य १०८ परिक्रमा जीवन में पूर्ण कर लेता है वह जन्म – मरण से मुक्त हो जाता है.
कैलाश पर्वत (Kailash Parvat Mystery connection with Spirituality) अजेय पर्वत शिखर.
हिमालय की ऊँची पर्वत श्रुंखलाओ से एक कैलाश पर्वत दुनियाका सबसे ऊँचा पर्वत शिखर जरुर नहीं है. लेकिन आज भी इस पर्वत शिखर पर कोई भी मनुष्य नहीं पहुच पाया. या इस पर्वत शिखर पर कोई इंसान ने चढ़ाई की है ऐसा नहीं हुवा. कहते है कैलाश पर्वत अनेको अदृश्य शक्तियोसे घिरा हुवा है.
बर्फ से ढके हिमालय पर गरम पाणी के झरने (Kailash Parvat Mystery connection with Spirituality and Science).
कैलास मानसरोवर यात्रा में तिर्थपुरी नामक स्थान है. हमेशा बर्फ से आच्छादित इस प्रदेश में गरम पाणी के झरने है. झरनों के आसपास चुनखड़ी की टीले मौजूद है. कहा जाता है भस्मासुर ने इसी जगह घोर तपश्चर्या की थी और यही पे उसे शिवजीने उसे भस्म किया था. गरम पानीके झरने के तीर्थ का भाविको में बड़ा महत्व है.
कैलाश प्रदेश की सुगंधित देन – कैलाश धुप.
कैलाश पर्वत के प्रदेश में एक सुगंधित वनस्पति काफी मात्रामे उपलब्ध होती है. इस वनस्पति को कैलाश धुप कहा जाता है. अत्यंत मोहक सुगंगित इस वनस्पति को पूजा सामग्री में बड़ा महत्व प्राप्त है. बाकी प्रदेशोमे महंगे दामो पर कैलाश धुप की बिक्री होती है.
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कैलाश मानसरोवर यात्रा एक मौत का सफ़र (Kailash Parvat Mystery).
कैलाश मानसरोवर यात्रा के लिए भाविक भक्तों की बड़ी तादाद होती है. लेकिन यह यात्रा किसी मौत के सफ़र से कम नहीं होती. इस यात्रा में पहले कमसेकम ७५ से ८० किलोमीटर यात्रा पैदल तय करनी होती थी. लेकिन प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के प्रयासों से नाथूरा दराह मार्गसे १५ से १८ किलोमीटर चलना पड़ता है. फिर भी ऊंचाई और बर्फ से ढके मार्ग से ऑक्सीजन की बेहद कम मात्रा में यात्रा पूरी करना मौत का सफर करने जैसा है.
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